Sunday 13 January 2013

कश्मीर >> A Journey from महर्षी कश्यप to अब्दुल्ला

कश्मीर संस्कृत शब्द (का +समीर) "का" अर्थात "पानी" तथा "समीरा" मतलब  "सुखा कर" > (पानी को सुखा कर)  ! 
प्राचीन काल में कश्मीर एक झील हुआ करता था जिसे महर्षी कश्यप ने अपनी दैवीय शक्तियों   से हिमालय की चोटियों को काट कर वहा इंसानों को बसाया ,
 वही  कुछ 5000 साल पहले वीर क्षत्रिय "राजा जम्बू लोचन "  ने जम्मू शहर पे अपना शासन  स्थपित किया था !
कश्मीर महाभारत काल  से कम्बौज क्षत्रिय के आधीन संस्कृत अध्यन तथा धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र  हुआ करता था !
अनन्त काल से क्षत्रियों ने कश्मीर पे शाशन किया !
 बाबर, अकबर , औरन्जेब और अन्य कई क्रूर विदेशी  शासको के अथक प्रयास के बाद भी वहा से राजपूत शाशन  की नीव तक नहीं हिला सके !

महाराजा हरी सिंह ने भी "इंडियन आजादी " से पहले कई बार अलगावादियों/ उपद्रियो मुसलमानों के बिद्रोह को वीरता का परिचय देते हुए बुरी तरह दबा दिया ! 
1947 में जब कश्मीर की 70% से ज्यादा  जनसख्या  मुस्लिम थी तब भी राजपूत सैनिको ने बिद्रोहियो के गाव के गाव जल दिए और एक भीसड नरसंघार में हज्जारो विद्रोहियों को नीद के घाट उतार  दिया  !
जब महाराजा हरी सिंह ने कश्मीर को एक स्वतंत्र आज घोषित कर भारत और पाकिस्तान किसी से न  मिलने की एक साहसी कदम उठाया तब "इंडियन " नेताओ को ये बात नागवार गुजरी !
 मिल बाट  कर खाने वाले समझौते (जिसके तहत हिंदुस्तान का बिभाजन इंडिया और पाकिस्तान में हुआ था ) पर हरी सिंह का ये कदम बाकी  राजपरिवार  ना उठाए उसके लिए नेहरु ने अपने  "परम मित्र" जिन्ना  को कश्मीर पर आक्रमण करने की सलाह दी , यह बात उन्हें अच्छी  तरह पता थी की एक राजपूत होने के नाते हरी सिंह कभी भी पाकिस्तान से नहीं मिलेंगे, और कश्मीर की  रक्षा के लिए वो "इंडिया " से मदद मागने के लिए मजबूर हो जायेंगे !
योजना के अनुशार पाकिस्तान के 1947 के  आक्रमण से कश्मीर को तो बचा कर  वो यूद्ध भले ही "इंडिया ' ने जीत गई हो  पर उसमे हार "हिंदुस्तान की हुई" !
योजना के तहत नेहरु और जीन ने कश्मीर को रजा हरी सिंह से लेकर आपस में आधा आधा बात लिया ?
पाक अधिकृत कश्मीर उसी साजिस का नतीजा है ? की  "इंडियन" भुगत रहे हो या ना रहे हो पर लाखो  "भारतीय" अपनी जान देकर भुगते है ?
मै पूछता हु अगर ये साज़िस नहीं थी >>
 क्योँ पकिस्तनियो को हराने के बाद भी "भारतीय सेना " को पीछे हटने को कहा गया और क्योँ आधे कश्मीर पे पाकिस्तानियो को अवैध कब्ज़ा दिया गया ?
क्योँ महाराजा हरी सिंह को मदद के बदले भारत में मिलने की सर्त राखी गई ?
आजादी के बाद पाकिस्तान इस हालत में नहीं था की वो अपने लोगो को दो वक्त की रोटी दे सके, वो कश्मीर पर अचानक हमला क्योँ किया ?    

 सेख मुहम्मद अब्दुल्ला जिसने  कई  बार हरी सिंह के खिलाफ विद्रोह की नेतृव किया, उसके और नेहरु के रिश्ते जग जाहिर थे !
महाराज के खिलाफ विद्रोह में मुस्लिम और कांग्रेस्सियो की ,इले होने की बात होने की संभावना जाहिर की जाती है !कश्मीर के "इंडिया " में मिलन के बाद  सेख मुहम्मद अब्दुल्ला का  17 मार्च 1948 को कश्मीर का "प्रधान मंत्री" चुना जाना "कश्मीरी साजिस" का नतीजा था !


राजतन्त्र  को खत्म कर प्रजा तंत्र लाने की उनकी साजिस कामयाब हो गई !  
पर नेहरु  सायद ये भूल गए की कश्मीर पर राज करना जहा 70% मुसलमान है , एक  क्षत्रिय  के अलावा किसी और के बस की बात नहीं थी !
नतीजन कश्मीर आज "इंडिया " में हो कर भी वो कभी हमारा ना हो सका ! 
वो कश्मीर जो कभी दुनिया का स्वर्ग जाता था अब वो कश्मीरी पंडितो तथा भारतीय सैनिको को स्वर्ग पहुचने के काम आता है !
अब वो दिन भी दूर नहीं जब कश्मीर का नाम बदल कर > कासिम मीर या अब्दुल्ला पुर रख दिया जाए , तथा अमरनाथ की तरह वैष्णो देवी के दर्शन के लिए भी "इंडिया" सरकार की अनुमति लेनी पड़े !


कब तक ये "इंडियन सरकार " नेहरु  की गलतियौं को सही साबित  करने की जीद में भारत माँ के बेटो का सर पाकिस्तान को देते रहेंगे ???.....   

 A Personal View By :-
Nishant Rathour

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