Saturday 14 July 2012

नेहरु खानदान का सच


पिछली सात पुश्तों से तथाकथित नेहरू -गांधी खानदान भारतियो के साथ धोखा करके सत्ता पर कब्ज़ा किए बैठा है। आज देश में जितनी समस्याए हैं इनकी देन हैं .चाहे कश्मीर समस्या हो आतंकवाद की .देश के बटवारे के जिम्मेदार यही खानदान है जातिवाद साम्प्रदायवाद ,भाषावाद ,इन्हीं की पैदायश है .आज चीन हमारी जमीन पर इन्हीं की बदौलत बैठा है। कश्मीर ,मीजोरम नागालैंड और उत्तर पूर्व के प्रांत टूट के कगार पर हैं। लेकिन सत्ता बचाने के लिए यह परिवार कुछ भी कर सकता है .जो भी इनके रास्ते में आया इन्होने उसका सफाया कर दिया,या अपने रास्ते से हटा दिया .सुभाष चंद्र बोस मादाव्राव सिंधिया, राजेश पायलट ,और लाल बहादुर शास्त्री इसके उदाहरण हैं सिखों के खून से इनका पंजा रंगा हुआ है। इस खानदान को देश से कोई लगाव नहीं है यह परिवार देश की हिंदू छवि नष्ट करने पर तुला है। लेकिन इनके चाटुकार कांग्रेसी लगातार यह सिद्ध करने में लगे रहते हैं की देश को आज़ादी सिर्फ़ इसी खानदान की बदौलत मिली है ,इसलिए सिर्फ़ इसी परिवार को देश पर हुकूमत करने का दैवी अधिकार प्राप्त है .इनसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति कोई होही नहीं सकता। इसलिए भविष्य में भी इनकी औलाद ही राज करेगी ।
लेकिन इस खानदान की असलियत बहुत कम लोगों को पता है .लोग इन्हें कश्मीरी ब्राह्मण ,हिंदू, पंडित, या महात्मा गांधी का सम्बन्धी मानते हैं .लेनिन यह सब झूठ है।
आर एह एंड्र्यू ने अपनी किताब ऐ लैंप फॉर इंडिया में इनके पूरी जानकारी दी है जिसके मुताबिक इस खानदान का प्रारंभ एक मुसलमान से होता है .जिसका पूरा रिकॉर्ड मौजूद है .उस व्यक्ति का नाम गयासुद्दीन गाजी था.जो एक मुग़ल था।
१-गयासुद्दीन गाजी- इसके पुरखे तैमुर लांग के साथ यहाँ आए थे और यही रह गए थे .इन्हें गाजी की उपाधि दी गई थी जिसका मतलब है काफिरों को मारने वाला। बहादुर शाह ज़फर के राज्य में गयासुद्दीन दिल्ली का कोतवाल था.सन १८५७ में अंग्रेजों ने बहादुर शाह को कैद करके रंगून भेज दिया .और उन सभी लोगों को गोली मारने का हुक्म दे दिया जो बादशाह के वफादार थे। इसके लिए सिख और गोरखा फौज को लगाया गया था.उन्हीं में से कुछ लोग जान बचा कर इलाहाबाद और आगरा चले गए। गंगाधर इलाहबग आ गया और अपना नाम बदल कर गंगाधर रख लिया। वैसे धर कश्मीरिओं का सरनेम होता है इसलिए वह खुदको कश्मीरी बताने लगा.चूंकि ईरानिओं और कश्मिरिओं का रंग रूप एकसा होता है इसलिए किसी को शक नही हुआ। बाद एक नेहर के पास रहने के कारण उसने अपने नाम के आगे नेहरू शब्द और जोड़ लिया।
इलाहाबाद में रहते हुए गयासुद्दीन ७७ मीरगंज में कोठे की दलाली करने लगा.साथ ही एक वकील मुख्त्यार के सहायक के रूप में भी काम करने लगा .लेकिन उसमे कोई ख़ास कमी नहीं हो रही थी .उसने शादी भी की थी .जिस से मोतीलाल पैदा हुआ ।
२-मोतीलाल -इसका बचपन कोठे में गुजरा .और वहीं दलाली से कमाई करता रहा .इसी दौरान उसकी दोस्ती मुबारक अली नामके वकील से हुई,जो जो काफ़ी पैसे वाला और शौकीन तबियत का था। इसके लिए मोतीलाल एक गरीब लड़की शादी कर क्र लाया जिसका नाम थुस्सू था.जिसका नाम उसने स्वरूपरानी रख दिया और उसे मुबारक अली के हवाले कर दिया .मुबारक अली ने उसे अपने मकान इरशाद मंजिल में रख लिया.लेकिन जब वह गर्भवती हो गई तो उसने मुबारक अली उसे घर से यह कह कर निकाल दिया की अगर यह हरामी बच्चा मेरे घरमें पैदा होगा तो मेरी विरासत में हक़ मागेगा मजबूरन मोतीलाल उसे कोठे पर ले गया। जहाँ जवाहर लाल का जन्म हुआ था।
मोतीलाल की एक रखेल भी थी .जिस से शैख़ अब्दुल्ला,सय्यद हुसैन,और रफी अहमद किदवई पैदा हुए.इस तरह जवाहर लाल और शेख अब्दुल्ला सौतेले भाई थे.और यही कारण है की आज तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हो सका है ।
मोतीलाल और थुस्सू से दो लड़कियां हुई .विजय लक्ष्मी और कृष्णा.विजयलक्ष्मी के सम्बन्ध सय्यद हुसैन थे जिस से एक लड़की चंद्रलेखा हुई थी बाद में विजयलक्ष्मी की शादी आर एस पंडित से हुई जिस से दो लड़कियां नयनतारा और रीता हुईं ।
३-जवाहर लाल नेहरू .यह मुबारक अली और स्वरूपरानी की नाजायज औलाद था। इसका बचपन भी कोठे में गुजरा। जब अवध के नवाब को यह पता चला की एक मुसलमान का लड़का कोठे में रह रहा है ,तो वह उसे अपने साथ ले आए .१० साल की आयु तक जवाहर वहीं रहा और वहीं उसकी खतना भी की गई थी.उसे उर्दू और फ़ारसी पढ़ाई गई। यही कारण है की इस खानदान के लोगों को हिन्दी या संस्कृत का बिल्कुल भी ज्ञान नही है .ख़ुद को कश्मीरी बताने वाले यह लोग कश्मीरी भाषा में एक वाक्य भी नही बोल सकते है ।
लन्दन के ट्रिनिटी कॉलेज पढने के बाद जवाहर लाल मुंबई के मालाबार
हिल में रह कर असफल वकालत करने लगा। उसी दौरान वह एक कैथोलिक नंन के आया जो बाद में गर्भवती हो गई थी .जिस के चलते ईसाइयों ने उसे ब्लैक मेल करके कई काम कराये ।
जवाहर लाल की शादी कमला कॉल से हुई थी .लेकिन उसके कई औरतों से नाजायज सम्बन्ध थे। एक महिला श्रधा माता थी उस से जो लड़का हुआ था उसे बंगलौर के अनाथालय में भेज दिया गया था। जवाहर लाल के तेजी बच्चन से भी सम्बन्ध थे उसका पति एक समलैंगिक था। लेडी माउन्ट बेतीं के बारे ने सब जानते है । जवाहर लाल अपनी अय्याशी की वजह से सिफलिस से मरा था।
उधर कमला ने मुबरल अली के लड़के मंजूर अली से सम्बन्ध बना लिए थे जिस से इंदिरा प्रियदर्शिनी पैदा हुई। मंजूर अली आनंद भवन में शराब भेजता था .इस मकान का नाम पाहिले इरशाद मंजिल था । मोतीलाल ने इसे मुबारक अली से खरीद कर इसका नाम आनद भवन रख दिया था। यहीं इंदिरा का जन्म हुआ था।

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